जनपद में पदस्थ कंप्यूटर ऑपरेटर खुद प्रोपराइटर बनकर ग्राम पंचायतों में धड़ल्ले से लगा रहे बिल
दैनिक रेवांचल टाइम्स डिंडोरी, मध्य प्रदेश के आदिवासी बाहुल्य जिले डिंडोरी में मनरेगा योजना के नियम कायदों को ताक पर रख दिया गया है हैरान कर देने वाली बात यहां है कि पंचायत में सरपंच सचिव और पंच के सगे रिश्तेदार ठेकेदार बन बैठे हैं यहां तक कितना सही है सभी लोग बखूबी जानते हैं ऐसे ही मामला एक नया प्रकाश में आया है जहां करंजिया विकासखंड जनपद पंचायत में मैं पदस्थ कंप्यूटरऑपरेटर डी एस मरावी लगभग 2017 से विभाग को अपनी लगातार सेवाएं दे रहे हैं
इसी बीच उन्होंने अपना मास्टरमाइंड चलाया और खुद प्रोपराइटर बनकर ऑनलाइन फर्म की दुकान कि बिल बुक छपा डाली जिससे वे स्टेशनरी के नाम पर हर एक ग्राम पंचायत में अपना बिल लगना शुरू कर दिया और जमकर भ्रष्टाचार मचाने लगे खुद ठेकेदार और खुद कंप्यूटर ऑपरेटर बना बैठे और लगातार बिलो से राशि का आहरण करने लगे,
क्या कहता है पंचायती राज अधिनियम पंचायती राज अधिनियम के तहत कोई भी जनप्रतिनिधि अपने सगे संबंधी एवं सरपंच सचिव रोजगार सहायक और शासकीय कार्यालय में सेवा देने वाले कंप्यूटर ऑपरेटर से लेकर कोई भी सगे संबंधी उनको हितग्राही मूलक एवं रोजगार मूलक की योजना का लाभ नहीं ले सकता वही जनपद पंचायत करंजिया में पदस्थ डी एस मरावी कंप्यूटर ऑपरेटर खुद प्रोपराइटर बनकर अपनी फर्म के नाम से धड़ल्ले से बिल ग्राम पंचायतों में लगा रहे हैं

जिन्हें कोई रोक-टोक करने वाला नहीं है एक कंप्यूटर ऑपरेटर जो अपने आप को पूरे जनपद पंचायत का मुखिया समझने लगा और सूत्र यहां भी बताते हैं कि जो ग्राम पंचायत के सरपंच सचिव उनके बिल नहीं लगाते उनका काम कंप्यूटर ऑपरेटर द्वारा लटका दिया जाता है कंप्यूटर ऑपरेटर की जनपद में तानाशाही चरम सीमा के पार हो चुकी है
जबकि इनकी कोई श्रेयांश ऑनलाइन की दुकान भी नहीं है आखिर यहां जनपद में पदस्थ कंप्यूटर ऑपरेटर का बिलो के नाम पर काला खेल कब तक चलता रहेगा जब इस मामले में जनपद में पदस्थ एसडीओ कशिश नायक से बात की गई तो उन्होंने इस मामले में जनपद पंचायत करंजिया आकर बात करने को कहा और मैं अभी गाड़ी ड्राइव कर रहा हूं का कर अपना पल्ला झाड़ लिया कहीं ना कहीं उच्च अधिकारियों द्वारा कंप्यूटर ऑपरेटर को क्यों बचाया जा रहा है यह तो अपने आप में एक अहम सवाल है।