“नर्सिंग कॉलेज या फर्जीवाड़े की फैक्ट्री? मंडला में 90% संस्थान बन गए हैं जालसाजी के अड्डे!”
राजधानी की मान्यता, गांव में चल रहे फर्जी कॉलेज – न भवन, न स्टाफ, फिर भी जारी स्कॉलरशिप का खेल!
दैनिक रेवांचल टाइम्स | मंडला विशेष रिपोर्ट
मंडला जिले में शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह मज़ाक बन चुकी है। जिले के लगभग 90% नर्सिंग कॉलेज और महाविद्यालय, भोपाल-जबलपुर की मान्यता के नाम पर फर्जी तरीके से चलाए जा रहे हैं। ये संस्थान न तो निर्धारित मापदंडों को पूरा करते हैं, न ही इनके पास खुद की बिल्डिंग होती है। एक छोटा-सा बोर्ड लगाकर पूरे कॉलेज की दुकान चल रही है, और सरकार मौन दर्शक बनी हुई है।
बड़े घोटाले के संकेत:
फर्जी स्टाफ, जिनका कोई स्थायी नियुक्ति या पंजीयन नहीं।
बिहार, यूपी और छत्तीसगढ़ के छात्रों के नाम पर अटेंडेंस, जबकि वे कभी कॉलेज आए ही नहीं।
स्कॉलरशिप की निकासी उन्हीं के नाम से, जो छात्र उस जिले में मौजूद ही नहीं।
मेडिकल प्रैक्टिस के नाम पर भविष्य से खिलवाड़, न प्रयोगशाला है, न हॉस्टल, न कोई सुविधा।

इनके पास क्या नहीं है?
खुद की जमीन या इमारत
पंजीकृत शिक्षक या योग्य फैकल्टी
क्लिनिकल ट्रेनिंग की वैध व्यवस्था
प्रैक्टिकल के लिए मान्यता प्राप्त अस्पताल से अनुबंध
शासन-प्रशासन क्यों मौन?
कई बार शिकायतों के बावजूद न तो उच्च शिक्षा विभाग, न ही स्वास्थ्य शिक्षा परिषद, और न ही CMO या DM ऑफिस ने कोई कठोर कार्रवाई की है। क्या इन कॉलेजों को किसी सत्ता या सिस्टम का संरक्षण प्राप्त है?

अब सवाल उठते हैं:
क्या छात्रों का भविष्य इस भ्रष्ट तंत्र के हवाले कर दिया गया है?
क्या गरीब छात्रों के नाम पर स्कॉलरशिप की लूट ही शिक्षा का नया धंधा बन गया है?
आखिर इन कॉलेजों को मान्यता देने वाली यूनिवर्सिटी पर क्यों नहीं हो रही जांच?
जिले में संचालित सभी निजी नर्सिंग कॉलेजों और महाविद्यालयों की संयुक्त जांच की जाए।
फर्जीवाड़ा पाए जाने पर मान्यता रद्द, संचालकों पर FIR और स्कॉलरशिप की रिकवरी की जाए।
छात्रों को वैध संस्थानों में शिफ्ट कर भविष्य की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए।