दैनिक रेवांचल टाइम्स जबलपुर
शहर का सबसे बड़ा पॉश इलाका विजय नगर बारिश से हार गया। भारी बारिश के चलते जबलपुर के विजयनगर, उखरी, दीनदयाल घड़ी चौक से लेकर एसबीआई चौक तक का क्षेत्र जलमग्न हो गया है। जगह-जगह जलभराव, जाम, गड्ढों और नालियों से निकलते कचरे ने स्थानीय जनता की मुश्किलें कई गुना बढ़ा दी हैं। इन विषम हालातों में न तो क्षेत्रीय विधायक का कोई अता-पता है और न ही पार्षद नजर आ रहे हैं। स्थानीय जनता राहत के लिए इधर-उधर भटक रही है, लेकिन जनप्रतिनिधि और नगर निगम प्रशासन पूरी तरह से गायब हैं।
जनता बेहाल, सड़के बनीं तालाब
बारिश के बाद पूरे क्षेत्र की सड़कें जलमग्न हो गई हैं। खासकर दीनदयाल घड़ी चौक, एसबीआई चौक और उखरी इलाके में हालात सबसे ज्यादा बदतर हैं। सड़कों पर पानी भर जाने से दोपहिया और चौपहिया वाहन चालक परेशान हैं, कई जगह छोटे-बड़े हादसे भी हो चुके हैं। स्थानीय निवासियों के अनुसार, “हर साल यही हाल होता है, लेकिन कोई सुनवाई नहीं होती।”

नालियां कचरे से अटी पड़ीं, सफाई नहीं
नालियों की हालत बेहद खराब है। कई दिनों से सफाई नहीं हुई, जिससे नालियों का गंदा पानी सड़कों पर बह रहा है। कीचड़, दुर्गंध और मच्छरों ने बीमारी फैलने का खतरा भी बढ़ा दिया है। बारिश के पानी के साथ कूड़ा बहकर लोगों के घरों और दुकानों में घुस रहा है।
प्रशासन और जनप्रतिनिधि लापता
पूरे क्षेत्र में राहत कार्य के नाम पर कुछ भी नहीं हो रहा। न तो नगर निगम का कोई कर्मचारी नजर आ रहा है, और न ही क्षेत्रीय विधायक या पार्षद स्थिति का जायजा लेने आए हैं। जनता में इस बात को लेकर गहरा आक्रोश है कि चुनावों के समय हर गली में दिखने वाले नेता अब गायब हो चुके हैं।
जाम और दुर्घटनाओं से हालात बदतर
विजयनगर और उखरी मार्ग पर जाम की स्थिति बनी हुई है। कई गाडिय़ाँ जलभराव में बंद हो चुकी हैं और यातायात व्यवस्था चरमरा गई है। आम जनता को अपने दफ्तर, स्कूल या ज़रूरी कामों के लिए निकलने में भारी कठिनाई हो रही है।
जनता ने उठाई मांग-हो स्थाई समाधान
स्थानीय लोगों ने प्रशासन से मांग की है कि जल निकासी की उचित व्यवस्था की जाए, नालियों की सफाई नियमित हो, और बारिश से पहले पुख्ता तैयारियाँ की जाएं। साथ ही लापरवाह जनप्रतिनिधियों की जवाबदेही तय की जाए।
भारी बारिश ने जबलपुर के इस क्षेत्र की अव्यवस्था को उजागर कर दिया है। नगर निगम, विधायक और पार्षदों की निष्क्रियता ने साबित कर दिया है कि जनता को सिर्फ चुनावी मोहरा समझा जा रहा है। जरूरत है तत्काल राहत कार्य की और दीर्घकालीन समाधान की।