जिला प्रशासन और नगर निगम का प्रचार बनाम ज़मीनी हकीकत: जबलपुर की सफाई व्यवस्था की खुल रही पोल
दैनिक रेवांचल टाइम्स जबलपुर
अतुल कुमार
शहर में इन दिनों नगर निगम और जिला प्रशासन की ओर से सफाई व्यवस्था को लेकर सोशल मीडिया पर बड़े जोर-शोर से प्रचार किया जा रहा है। रोजाना अफसरों और नेताओं की तस्वीरें पोस्ट की जा रही हैं, जिनमें वे साफ-सुथरी सड़कों पर खड़े होकर निरीक्षण करते नज़र आ रहे हैं। दावा किया जा रहा है कि शहर की सफाई व्यवस्था दुरुस्त है, जल निकासी का काम चल रहा है और जनता को कोई परेशानी नहीं हो रही है।
लेकिन जब इन दावों की सच्चाई परखने के लिए ज़मीन पर जाकर देखा गया, तो तस्वीर कुछ और ही नज़र आई।
चंद इलाकों तक सीमित है “सफाई” का दिखावा
नगर निगम और प्रशासन सिर्फ कुछ चुने हुए पॉश इलाकों में पहुंचकर फोटो खिंचवा रहे हैं। वहां पहले से साफ सड़कों पर खड़े होकर निरीक्षण की तस्वीरें ली जाती हैं और सोशल मीडिया पर साझा कर दिया जाता है। लेकिन शहर के अधिकतर हिस्सों की स्थिति अब भी जस की तस बनी हुई है।
गड्ढों और जलभराव से जूझ रहा है शहर
शहर के प्रमुख इलाकों जैसे दमोह नाका, चुंगी चौकी, गोरखपुर, रांझी, मदनमहल, अधारताल, विजय नगर और हनुमान ताल, धनवंतरी नगर, गड़ा फाटक , गड़ा, अंदर मोहल्ले बस्तियों में सड़कों की हालत बेहद खराब है। जगह-जगह बड़े गड्ढे, टूटी सड़कें और जलभराव ने लोगों का जीना मुश्किल कर दिया है। बारिश के समय ये समस्याएं और भी गंभीर हो जाती हैं। ट्रैफिक जाम आम हो गया है और स्थानीय नागरिकों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

जनता का सवाल – क्या सिर्फ फोटो से सुधर जाएगा शहर?
स्थानीय निवासी सवाल उठा रहे हैं कि क्या सिर्फ सोशल मीडिया पर फोटो पोस्ट करने से शहर की सफाई व्यवस्था ठीक हो जाएगी? जब तक प्रभावित क्षेत्रों में जाकर वास्तविक काम नहीं किया जाएगा, तब तक सिर्फ प्रचार से कोई लाभ नहीं होगा।
राजनीति बनाम जिम्मेदारी
यह भी देखा जा रहा है कि कुछ नेता और अधिकारी सिर्फ प्रचार के लिए सक्रिय हैं। सफाई और जल निकासी जैसी मूलभूत समस्याओं पर ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। अफसरशाही और राजनीति की मिलीभगत ने जनता को असल सेवाओं से वंचित कर दिया है।
ज़रूरत है सच्ची निगरानी की, ना कि सोशल मीडिया की दिखावा नीति की
अब वक्त है कि जिला प्रशासन और नगर निगम जमीनी हकीकत को स्वीकार करें और प्रचार से ज्यादा असल काम पर ध्यान दें। सिर्फ दिखावे की निगरानी नहीं, बल्कि हर मोहल्ले, हर गली में जाकर व्यवस्था सुधारने की ज़रूरत है।
जबलपुर की जनता को अब सोशल मीडिया प्रचार नहीं, असली समाधान चाहिए। दिखावे से नहीं, ईमानदारी और ज़िम्मेदारी से ही शहर की तस्वीर बदलेगी।