Wednesday, July 16, 2025
WhatsApp Icon Join Revanchal Times
WhatsApp Icon Join Revanchal Times
WhatsApp Icon Join Revanchal Times
E-Paper
Homeज्योतिषभ्रष्टाचार ही शिष्टाचार, गजब चल रही यह सरकार

भ्रष्टाचार ही शिष्टाचार, गजब चल रही यह सरकार

भ्रष्टाचार ही शिष्टाचार, गजब चल रही यह सरकार

रेवांचल टाईम्स – भ्रष्टाचार को कम या नाबुद करने के इरादे से आई यह सरकार मे भारतीय व्यवस्था की कड़वी सच्चाई आज भ्रष्टाचार हो गया है। भ्रष्टाचार, जो कभी चोरी-छिपे किया जाता था, अब सामाजिक और प्रशासनिक संस्कृति का हिस्सा बन चुका है। यह एक ऐसी बीमारी है, जो देश की प्रगति, जनता का विश्वास, और नैतिकता को खोखला कर रही है। इस लेख में, हम भ्रष्टाचार के स्वरूप, प्रभाव, और समाधान पर चर्चा करेंगे।

भ्रष्टाचार का संगठित स्वरूप

“सबका साथ ले कर होता भ्रष्टाचार” अब भ्रष्टाचार का रूप सुनियोजित तंत्र को उजागर करता है। पहले यह व्यक्तिगत लालच तक सीमित था, लेकिन अब यह सांस्थानिक रूप ले चुका है। उदाहरण के लिए, एक तहसील मुख्यालय में एक ही कंपनी के हजारों स्कैनर 3600 रुपये की बाजार कीमत के बजाय 7500 रुपये में खरीदे गए। “5 वर्ष की अतिरिक्त वारंटी” का बहाना बनाकर पुरानी तारीखों में ठराव बनाए गए। यह सरकारी खरीद में हेराफेरी का जीता-जागता सबूत है, जो जनता के पैसे का दुरुपयोग करता है और विश्वास को तोड़ता है।और इस वाक्या का जीता जागता सबूत में हु अब कोई भी काम करने से पहले ही किसको कितना मैनेज करना हे किसको कितना देना हे वह सब तय ही रहता हे बाद मे ही वह काम मंजूर होता हे या फाइलों से उठकर फैसलो से हो कर जमीन पर आता हे वरना भूल जाओ उसको कोईभी कितना जरूरी काम हो जय श्री राम।

“जो जुड़ जाए, वह धूल जाए, सारे केस माफ” –

सत्ता और प्रभाव के बल पर भ्रष्टाचारी आसानी से बच निकलते हैं। बड़े घोटालों के बावजूद प्रभावशाली लोग न केवल बच जाते हैं, बल्कि उनके खिलाफ ठोस कार्रवाई भी नहीं होती। यह व्यवस्था में कानून के डर की कमी को उजागर करता है। और साथ साथ न्याय पालिका पर भी सवाल खड़ा करती हे क्योंकि भ्रष्टाचार के मामले दर्ज तो होते हैं, लेकिन जांच और सजा की कमी उन्हें औपचारिकता बनाकर रख देती है। यह अन्याय को बढ़ावा देता है और समाज में यह संदेश देता है कि सत्ता और संपर्क के दम पर कोई भी गलत काम माफ हो सकता है।और यह हमें भारत की राजनीति में आज साफ दिखाई देता हे खास कर के अब जो सत्ताधारी पक्ष काम कर रहा हे उसमें ऐसे सैकड़ों उदाहरण हे जिस पर कल शाम को भ्रष्टाचार के केस चल रहे हो और आज सुबह वो पक्ष में जुड़े तो केस भी खत्म और भ्रष्टाचार भी।

टैक्स और कर्ज का दुष्चक्र

यह भी एक गंभीर सवाल है: “टैक्स बढ़े, टैक्सपेयर बढ़े, कर की आय बढ़ी, फिर भी कर्ज क्यों बढ़ रहा है?” इसका जवाब भ्रष्टाचार और कुप्रबंधन में छिपा है। सरकारी योजनाओं और खरीद में भ्रष्टाचार देश के संसाधनों को नष्ट कर रहा है। इसका बोझ आम जनता पर पड़ता है, जो अधिक टैक्स और महंगाई के रूप में कीमत चुकाती है। यह दुष्चक्र जनता को मेहनत का फल नहीं देता, बल्कि उसे और कर्ज के बोझ तले दबाता है। आज कोईभी योजना ऐसी नहीं हे की जिसमें सरकार यह कह दे कि इसमें भ्रष्टाचार नहीं हुआ। भले ही वह योजना के पैसे सीधे ही खाते में जमा होते हो।उसमें भी लोगों की संख्या बढ़ाकर, आय छिपाकर, कमीशन खाकर भ्रष्टाचार करते हे और यह नेताओं के और पक्ष के दलाल इसका भरपूर लाभ भी उठाते हे। जिसमें लाभार्थी को घर बैठे पैसे मिलते हे या काम किए बगैर ही पैसे मिलते हे और दलालों को कमीशन और अंत में देश को कर्ज और कमीशन वाली सिस्टम।?

स्विस बैंक: भ्रष्टाचार का सबूत
स्विस बैंक और अन्य विदेशी बैंकों में भारतीयों के खातों में जमा राशि भ्रष्टाचार और काले धन का प्रतीक है। लेखक का दावा कि “स्विस बैंक में बढ़ती रकम भ्रष्टाचार का सबसे बड़ा सबूत है” सटीक है। यह धन देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत कर सकता है, लेकिन भ्रष्टाचार के कारण यह विदेशों में पड़ा रहता है। सरकारें इसे वापस लाने के वादे करती हैं, लेकिन ठोस परिणामों की कमी जनता के अविश्वास को गहरा करती है।

भ्रष्टाचारियों को छूट और अंदरूनी तहकीकात के हिसाब से देश छोड़ने की सलाह।

बड़े भ्रष्टाचारियों को देश छोड़ने की छूट दी जाती है। इसलिए तो यह व्यवस्था की सबसे बड़ी विफलता है। भ्रष्टाचारियों को सजा के बजाय देश छोड़ने की अनुमति देना भविष्य में और भ्रष्टाचार को बढ़ावा देता है। यह संदेश देता है कि बड़े भ्रष्टाचारी कानून से ऊपर हैं, जो जनता के विश्वास को और कमजोर करता है। इससे भी ज्यादा की बात करे तो यह पक्ष ने साफ कह दिया हे कि अगर एक लिमिट से ज्यादा भ्रष्टाचार कर लिया हो तो आप जब तक हमारी सरकार हे तब तक के समय में ही देश छोड़ दे और हो सके तो विदेशी नागरिकत्व भी ले लो। जिससे आप और आपका परिवार कोई भी आफत में न आए यहां तक भ्रष्टाचारी ओ का ध्यान रखा जाता हे।क्योंकि अब की सरकार और भ्रष्टाचार एक दूसरे के पूरक हो चुके हे।लेकिन सामाजिक और नैतिक क्षति
भ्रष्टाचार केवल आर्थिक नुकसान नहीं करता; यह समाज के नैतिक ताने-बाने को भी तोड़ता है। जब भ्रष्टाचार को सामान्य मान लिया जाता है, तो ईमानदारी और नैतिकता का महत्व कम हो जाता है। युवा पीढ़ी निराश होती है, क्योंकि सत्ता और प्रभाव मेहनत से ज्यादा महत्वपूर्ण बन जाते हैं। यह सामाजिक असमानता और असंतोष को जन्म देता है।

भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म करने के तरीके
कठोर कानून और त्वरित सजा

भ्रष्टाचार के मामलों में त्वरित और कठोर कार्रवाई हो। जांच एजेंसियों को स्वतंत्र बनाना जरूरी है। और की भी राजकीय दबाव से उसको परे रखना चाहिए

*सूचना के अधिकार (RTI)

जनता को RTI का उपयोग कर सरकारी कामकाज की निगरानी करनी चाहिए।और किसी भी एक्सटीविस्ट को बेन न करे भले ही वो ब्लैकमेल करे तो उसके खिलाफ भ्रष्टाचार का केस बनाए।

*जन जागरूकता
स्कूलों और कॉलेजों में नैतिकता और ईमानदारी पर जोर देना होगा। जन जागरूकता अभियान चलाए जाएं।और भ्रष्टाचार के नए नए तरीके से लोगो को अवगत कराना चाहिए जिससे कम से कम उसकी तो समझ में आए के हकीकत में क्या चल रहा हे और बदलाव कहा लाना चाहिए।

  • *राजनीतिक इच्छाशक्ति
  • नेताओं को भ्रष्टाचार के खिलाफ ठोस नीतियां लागू करनी होंगी। और अपने को ही लाभ दिलाओ और कमीशन खाओ की नीति बंध करनी पड़ेगी। सिर्फ गांधीजी , भगतसिंह , वल्लभभाई पटेल के फोटो को हाथ जोड़कर हार पहनाकर फोटो खींचने से कुछ नहीं होगा नेताओं को सामने आकर अपने ही साथियों का भ्रष्टाचार कबूलना होगा या उजागर कर उसे रोकना होगा लेकिन यह सपने में हो सकता हे क्योंकि यह अभी तो सुनियोजित रूप से चल रहा हे।

काले धन पर कार्रवाई

कम से कम विदेशी बैंकों में जमा काले धन को वापस लाने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग और नीतियां लागू हों। जो बात प्रधान सेवक 2014 से कहते आए हे लेकिन वहा विदेश में पैसे बढ़ते ही जा रहे हे। यह तो एक ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल था लेकिन अभी वह ड्रीम ही दिख रहा हे।

जनता और नेताओं की जिम्मेदारी

यह समय है कि जनता और नेता (कम से कम जो विपक्ष में हो या फ्री बैठे हे और पेंशन खा रहे हे वह नेता )भ्रष्टाचार के खिलाफ एकजुट हों। जनता को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होना होगा और नेताओं से पारदर्शिता की मांग करनी होगी। नेताओं को समझना होगा कि भ्रष्टाचार अल्पकालिक लाभ दे सकता है, लेकिन यह देश की प्रगति और विश्वसनीयता को नष्ट करता है। और इससे कोईभी धर्म और विशेष व्यक्ति बच नहीं सकता हे इसलिए यह जंग हर नागरिक की है।”भ्रष्टाचार ही शिष्टाचार” भारत की व्यवस्था का कड़वा सच है। यह बीमारी देश की प्रगति और नैतिकता को खोखला कर रही है। इसे रोकने के लिए संगठित और जागरूक प्रयास जरूरी हैं। यह केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि हर नागरिक का कर्तव्य है। तभी हम एक ऐसा भारत बना सकते हैं, जहां शिष्टाचार का मतलब ईमानदारी, पारदर्शिता, और न्याय हो।

जागो भारत लगाओ मालम इस घाव का!
भ्रष्टाचार को दूर करो अब समय है बदलाव का!

         जय हिन्द

लेखक :- प्रतीक संघवी राजकोट गुजरात

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

WhatsApp Image - Yash Bharat News

Most Popular

POPULAR NEWS

ग्राम पंचायत डुलहरी में भ्रष्ट सरपंच सचिव उपयंत्री राहुल तेकाम को जनपद पंचायत मेहंदवानी कब तक पालने के झूले में झूलाते रखेगा

ग्राम पंचायत डुलहरी में भ्रष्ट सरपंच सचिव उपयंत्री राहुल तेकाम को जनपद पंचायत मेहंदवानी कब तक पालने के झूले में झूलाते रखेगा दैनिक रेवांचल टाइम्स...

“नशे से दूरी है जरूरी” अभियान के अंतर्गत मंडला पुलिस द्वारा व्यापक जनजागरूकता कार्यक्रम आयोजित

“नशे से दूरी है जरूरी” अभियान के अंतर्गत मंडला पुलिस द्वारा व्यापक जनजागरूकता कार्यक्रम आयोजित रेवांचल टाईम्स - मंडला पुलिस द्वारा मध्यप्रदेश पुलिस के निर्देशानुसार...

“दिव्यांग बच्चों के साथ मनाया गया विशेष दिवस, कलेक्टर ने किया उपहार वितरण और ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान की शुरुआत”

"दिव्यांग बच्चों के साथ मनाया गया विशेष दिवस, कलेक्टर ने किया उपहार वितरण और 'एक पेड़ मां के नाम' अभियान की शुरुआत" रेवांचल टाईम्स -...

Recent Comments