प्रयोजन के विरुद्ध बने अस्पताल : जबलपुर में नियमों की खुली धज्जियाँ, स्वास्थ्य विभाग की आँखों पर पट्टी या सेटिंग?’
(मेन) परिमशन रेशिडेंशियल की, तान लिया हॉस्पिटल
(सब)
CMHO और नगर प्रशासन की मिलीभगत से चल रहे ‘मौत के संस्थान, बड़े खुलासे में सामने आई हकीकत
जबलपुर शहर में दर्जनों ऐसे निजी अस्पताल और नर्सिंग होम्स हैं जो आवासीय या वाणिज्यिक प्रयोजन के लिए स्वीकृत भूमि पर अस्पताल का संचालन कर रहे हैं। यह न सिर्फ नगर तथा ग्राम निवेश अधिनियम 1973*एवं मध्यप्रदेश नगरपालिका अधिनियम 1961 का स्पष्ट उल्लंघन है, बल्कि जानबूझकर की जा रही जन-स्वास्थ्य के प्रति आपराधिक लापरवाही है।
RTI दस्तावेजों और अग्निशमन विभाग की जांच रिपोर्ट में यह तथ्य सामने आए हैं कि जबलपुर के कई अस्पताल बिना भू-उपयोग परिवर्तन (Land Use Conversion) कराए संचालित हो रहे हैं।
कैसे होता है नियमों का उल्लंघन?
- अस्पताल का निर्माण आवासीय या कॉमर्शियल ZONE में कर लिया जाता है
- भवन अनुज्ञा (Building Permission) लेते समय अस्पताल नहीं, आवासीय योजना दिखा दी जाती है
- न तो अग्निशमन NOC ली जाती है, न ही स्वास्थ्य विभाग से तकनीकी मंजूरी
- फिर स्वास्थ्य अधिकारी और निगम की मिलीभगत से अस्पताल चलने लगता है

जब नियमन ही न हो, तो इलाज क्या होगा?
म.प्र. नगर पालिका अधिनियम, 1961 की धारा 299 के अनुसार
प्रयोजन परिवर्तन बिना स्वीकृति निर्माण दंडनीय अपराध है और भवन सील या ध्वस्त किया जा सकता है।
नेशनल बिल्डिंग कोड (NBC)के अनुसार
अस्पताल जैसे उच्च-संवेदनशील स्थलों पर अग्निशमन, आपात निकास, पार्किंग, और वेंटिलेशन अनिवार्य है।
👉 इन नियमों का न केवल उल्लंघन किया गया*l, बल्कि निगम और स्वास्थ्य विभाग की सहमति या चुप्पी से संरक्षण भी मिला।
CMHO की भूमिका संदिग्ध, स्वास्थ्य विभाग की चुप्पी शर्मनाक
- कोई अस्पताल सील नहीं हुआ
- कोई संचालन पर रोक नहीं लगी
- कोई जांच रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की गई
क्या CMHO किसी दबाव या “अनकही सेटिंग” में फंसे हैं?
क्या प्रशासन को किसी बड़ी दुर्घटना का इंतजार है?
जनता का सवाल : ये ‘सेवा संस्थान’ हैं या ‘सिस्टम के संरक्षण में चल रही मौत की दुकानें’?
- जब आम नागरिक के मकान में छोटा क्लीनिक खोलने पर नोटिस भेजा जाता है
- तो बिना नक्शा, फायर सेफ्टी और ज़ोन मंजूरी वाले अस्पतालों को खुला संरक्षण क्यों?
जनहित में मांग :
- हर अस्पताल का प्रयोजन सत्यापन अभियान तत्काल शुरू किया जाए
- CMHO और भवन अधिकारी की जवाबदेही तय की जाए
- अवैध निर्माण पर रोक, सीलिंग और लाइसेंस निरस्तीकरण की कार्रवाई हो
- अग्निशमन, स्वास्थ्य और भवन अनुज्ञा की संयुक्त जांच रिपोर्ट सार्वजनिक की जाए
जबलपुर की सड़कों पर सिर्फ ट्रैफिक नहीं, कानून भी कुचला जा रहा है।
जहां बिल्डिंग बायलॉज, अग्निसुरक्षा नियम और स्वास्थ्य मानक मात्र दिखावा हैं,वहां मरीज की जान का कोई मोल नहीं। RTI से सच सामने आ गया है — अब जनता देख रही है कि क्या प्रशासन सच में कार्रवाई करेगा, या सटिंग का खेल चलता रहेगा।
“जब नियोजन के विरुद्ध बने अस्पतालों को प्रशासन चुपचाप देखता है, तो समझ लीजिए व्यवस्था बीमार है — इलाज की नहीं, इलाज वालों की ज़रूरत है।”
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