जबलपुर प्रशासन और नगर निगम को बड़े हादसे का इंतजार?90% बड़े मॉल, दुकानें और शॉपिंग मार्ट्स बिना सुरक्षा मानकों के संचालित
दैनिक रेवांचल टाइम्स, जबलपुर
जबलपुर शहर में तेजी से बढ़ती व्यावसायिक गतिविधियों के बीच बड़े-बड़े मॉल, शॉपिंग मार्ट और दुकानों में सुरक्षा मानकों की अनदेखी से बड़ा हादसा कभी भी हो सकता है। प्रशासन और नगर निगम के जिम्मेदार अधिकारी आंख मूंदे बैठे हैं और मानों किसी बड़े हादसे का इंतजार कर रहे हैं।
एक ही प्रवेश और निकास द्वार, बड़ी दुर्घटना को दे रहे न्योता
शहर के लगभग 90% बड़े मॉल और शॉपिंग कॉम्प्लेक्स में एक ही प्रवेश और निकास द्वार है। यही रास्ता ग्राहकों के आने-जाने और माल की सप्लाई के लिए भी उपयोग किया जाता है। बड़ी संख्या में ग्राहक इन्हीं रास्तों से अंदर आते-जाते हैं। आपात स्थिति में, जैसे आग लगने या किसी अन्य हादसे के समय, ये संकरे और अवरुद्ध रास्ते भारी जनहानि का कारण बन सकते हैं।

फायर एनओसी और पार्किंग की अनुमति अधूरी या फर्जी
जांच करने पर सामने आया कि अधिकांश बड़े मॉल और दुकानों ने न तो सही ढंग से फायर एनओसी ली है और न ही पार्किंग की समुचित व्यवस्था की है। कई मॉल्स में फायर सेफ्टी उपकरण केवल दिखावे के लिए लगे हैं और काम करने की स्थिति में नहीं हैं। वहीं दूसरी ओर, प्रशासन द्वारा फायर एनओसी और पार्किंग अनुमति की अनदेखी कर इन व्यापारिक प्रतिष्ठानों को संचालन की इजाजत दी जा रही है।
दरवाजे के सामने खड़ी गाड़ियाँ, एम्बुलेंस और फायर ब्रिगेड के लिए बड़ा अवरोध
शहर के मॉल्स और बड़े दुकानों के मुख्य द्वार पर ही ग्राहक और मालिक अपनी गाड़ियाँ खड़ी कर देते हैं। नतीजतन किसी आपात स्थिति में एम्बुलेंस या फायर ब्रिगेड वाहन का प्रवेश असंभव हो जाता है। संकरे रास्तों और अवैध पार्किंग के चलते बचाव कार्य बुरी तरह प्रभावित होने की पूरी संभावना रहती है।
प्रशासन और नगर निगम की भूमिका पर उठ रहे सवाल
सवाल यह उठता है कि जब नगर निगम और जिला प्रशासन को इन खामियों की जानकारी है, तो कार्रवाई क्यों नहीं हो रही? क्या वे किसी बड़े हादसे के बाद ही जागेंगे?
स्थानीय नागरिकों और सामाजिक संगठनों ने मांग की है कि शहर में संचालित सभी मॉल्स और बड़े दुकानों की फायर सेफ्टी ऑडिट हो, और नियमों का पालन न करने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाए।
क्या जरूरी हैं सुधार के लिए कदम?
सभी व्यावसायिक प्रतिष्ठानों का अग्नि सुरक्षा ऑडिट अनिवार्य किया जाए।
पार्किंग की समुचित व्यवस्था सुनिश्चित की जाए और सड़क पर पार्किंग करने वालों पर जुर्माना लगाया जाए।
आपात निकास द्वार बनवाए जाएं और उनकी नियमित जांच हो।
बिना फायर एनओसी और पार्किंग अनुमति वाले प्रतिष्ठानों पर तत्काल कार्रवाई हो।