मरीजों की जेब पर डाका : सड़कों पर अघोषित पार्किंग, खुलेआम स्टैण्ड शुल्क की वसूली–प्रशासन मौन, अफसरों से सेटिंग
अधिकांश निजी अस्पतालों की पार्किंग सड़क पर ही आबाद है
जबलपुर शहर में प्राइवेट अस्पतालों की मनमानी अपने चरम पर है। दर्जनों अस्पतालों द्वारा बिना किसी अधिकृत अनुमति के अस्पताल के सामने की सार्वजनिक सड़क को ही पार्किंग बना दिया गया है। मरीजों और उनके परिजनों से मनमाने ढंग से पार्किंग शुल्क वसूला जा रहा है। यह पूरी अवैध वसूली एक सुनियोजित गठजोड़ और प्रशासनिक चुप्पी के साथ चल रही है।
जबलपुर के कई बड़े प्राइवेट अस्पतालों ने मुख्य सड़कों के किनारे बेरोकटोक बाड़ाबंदी कर, वहां खड़े वाहनों से ₹20 से ₹100 तक की अवैध “पार्किंग फीस” वसूलनी शुरू कर दी है। न कोई नगर निगम से अधिकृत लाइसेंस, न कोई रसीद – सीधे मरीजों की मजबूरी का फायदा उठाकर लूट।
अस्पतालों के बाहर गार्ड तैनात हैं जो बिना पर्ची के पैसे लेकर मोटरसाइकिल, कार, एंबुलेंस तक को सड़क पर खड़ा कराते हैं। यह पूरा सिस्टम न सिर्फ अवैध है बल्कि यातायात व्यवस्था और आम जनता की परेशानी को भी लगातार बढ़ा रहा है।
मरीजों के लिए दोहरी मुसीबत
जहां एक ओर इलाज के नाम पर पहले ही मोटी फीस वसूली जा रही है, वहीं अब अस्पताल पहुंचते ही मरीजों के परिजन पार्किंग शुल्क के नाम पर फिर से लुट रहे हैं। कई जगहों पर तो एंबुलेंस को खड़ा करने तक के लिए शुल्क मांगा जाता है।

प्रशासन की खामोशी : गहरी साजिश या लापरवाही?
नगर निगम, ट्रैफिक विभाग और स्वास्थ्य विभाग के अफसर सब कुछ जानते हुए भी आंखें मूंदे हुए हैं। सूत्रों की मानें तो कई अस्पताल संचालकों ने सीएमएचओ (मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी) और नगर निगम के अधिकारियों से ‘सेटिंग’ कर रखी है। यही कारण है कि अब तक किसी भी अस्पताल के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई है।
प्रमुख अस्पतालों के नाम भी चर्चा में
शहर के विजय नगर, सदर, गोहलपुर, राइट टाउन, मदन महल और नर्मदा रोड क्षेत्र के बड़े प्राइवेट अस्पताल इस अवैध वसूली के खेल में शामिल हैं। कई जगह तो मरीजों से भीड़भाड़ के बीच मारपीट की नौबत तक आ चुकी है।

जनता पूछ रही है – कब जागेगा प्रशासन?
- क्या अस्पतालों को सार्वजनिक सड़क को पार्किंग में बदलने की अनुमति दी गई है?
- पार्किंग वसूली की रसीद क्यों नहीं दी जाती?
- नगर निगम और सीएमएचओ की चुप्पी किस मिलीभगत का संकेत है?
जबलपुर में प्राइवेट अस्पतालों की यह अंधी वसूली प्रशासनिक व्यवस्था की नाकामी और भ्रष्टाचार का जीता-जागता उदाहरण बन चुकी है। सड़कें जो जनता की हैं, वह अब मुनाफे का ज़रिया बन चुकी हैं। रेवांचल टाइम्स प्रशासन से मांग करता है कि तुरंत जांच कर दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए और आम जनता को राहत दी जाए।