Thursday, July 17, 2025
WhatsApp Icon Join Revanchal Times
WhatsApp Icon Join Revanchal Times
WhatsApp Icon Join Revanchal Times
E-Paper
Homeअपराधलघुकथा-शीर्षक - राधिका गाँव वाले कहते, वो ज़्यादा बोलती नहीं थी, उसकी...

लघुकथा-शीर्षक – राधिका गाँव वाले कहते, वो ज़्यादा बोलती नहीं थी, उसकी आँखों में कुछ अलग ही चमक थी,

लघुकथा-शीर्षक – राधिका गाँव वाले कहते, वो ज़्यादा बोलती नहीं थी, उसकी आँखों में कुछ अलग ही चमक थी,

रेवांचल टाईम्स – राधिका एक छोटे से गाँव की लड़की थी। शांत स्वभाव, गहरी आँखें, और बहुत ही समझदार। वो ज़्यादा बोलती नहीं थी, उसकी आँखों में कुछ अलग ही चमक थी, जैसे कुछ कर गुजरने की लालसा उसके अंदर हिलोरें मार रही हो।
पढ़ाई में बहुत तेज़ थी मगर परिवार की हालत ऐसी नहीं थी कि, उसे शहर भेजा जाए। पिता खेतों में काम करते और माँ बीमार रहतीं। राधिका अक्सर अपनी किताबें खेतों में ले जाती, वहीं पढ़ती, वहीं सपने बुनती।
गाँव वाले कहते-


“लड़की है, घर-गृहस्थी संभाले, ज़्यादा पढ़ाई लिखाई करके क्या करेगी आखिरकार तो घर ही संभालना है?
लेकिन राधिका की चुप्पी जवाब बन चुकी थी।


राधिका किसी को कोई जवाब नहीं देती थी पिताजी के साथ खेतों में काम करती और खाली समय में पढ़ाई करती।उसे अपनी बीमार मां की हालत देखी नहीं जाती थी। गांव में एक भी अस्पताल नहीं होने के कारण उसकी मां का इलाज सही से नहीं हो पा रहा था इसलिए वह चाहती थी की पढ़-लिख कर वह डाक्टर बने और अपनी मां और गांव वालों का इलाज करे।


रातों को वह माँ के पास बैठकर पढ़ती, और दिन में खेतों में पिता का हाथ बंटाती। उसका सपना था — “डाक्टर बनकर हर उन औरतों का इलाज करना जो, इलाज के लिए शहर नहीं जा पा रही थी और ना ही प्राइवेट अस्पतालों में इलाज कर स्वस्थ्य हो पा रही थी। गांव में बहुत सारी औरतें ऐसी थी जो इलाज के अभाव में बीमार रहती थी। राधिका को उनका दुख देखा नहीं जाता। चुल्हा चक्की से लेकर खेतों के काम औरतों के लिए आसान न थे ,दोहरी जिम्मेदारी उनके स्वास्थ्य को आए दिन कुचलती रहती थी। राधिका यह सब देखकर विचलित होती रहती थी।


एक दिन गाँव में एक सरकारी परीक्षा की घोषणा हुई — जिले में टॉप करने पर छात्रवृत्ति और शहर में पढ़ने का मौका। राधिका ने बिना किसी को बताए परीक्षा दी।
जब परिणाम आया, राधिका का नाम पहले नंबर पर था।गाँव वाले हैरान, पिता की आँखें नम, और माँ की मुस्कान लौट आई।
राधिका शहर गई, पढ़ी, और कुछ सालों में वापस लौट आई — गाँव की पहली महिला डाक्टर बनकर।


अब वह वह गरीब लाचार लोगों का इलाज करती है, और समय निकालकर गांव के बच्चों को पढ़ाती भी थी ताकी कोई शिक्षक, कोई इंजिनियर कोई, पुलिस आदि बनकर गांव का नाम रौशन कर सके । जिससे गांव की तरक्की हो सके।
जिनके सपनों को कभी शब्द नहीं मिलते थे। उसकी चुप्पी अब कई आवाज़ों को दिशा दे रही है।


राधिका सबसे बस यही बात कहती की चुपचाप रहकर बस अपना काम करते रहो किसी को जबाब देना समस्या का हल नहीं।
समस्या का हल तब निकलता है जब हम चुपचाप अपना कर्तव्य करते हैं।
लेखिका -सुनीता कुमारी
पूर्णियां बिहार

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

WhatsApp Image - Yash Bharat News

Most Popular

POPULAR NEWS

ग्राम पंचायत डुलहरी में भ्रष्ट सरपंच सचिव उपयंत्री राहुल तेकाम को जनपद पंचायत मेहंदवानी कब तक पालने के झूले में झूलाते रखेगा

ग्राम पंचायत डुलहरी में भ्रष्ट सरपंच सचिव उपयंत्री राहुल तेकाम को जनपद पंचायत मेहंदवानी कब तक पालने के झूले में झूलाते रखेगा दैनिक रेवांचल टाइम्स...

“नशे से दूरी है जरूरी” अभियान के अंतर्गत मंडला पुलिस द्वारा व्यापक जनजागरूकता कार्यक्रम आयोजित

“नशे से दूरी है जरूरी” अभियान के अंतर्गत मंडला पुलिस द्वारा व्यापक जनजागरूकता कार्यक्रम आयोजित रेवांचल टाईम्स - मंडला पुलिस द्वारा मध्यप्रदेश पुलिस के निर्देशानुसार...

“दिव्यांग बच्चों के साथ मनाया गया विशेष दिवस, कलेक्टर ने किया उपहार वितरण और ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान की शुरुआत”

"दिव्यांग बच्चों के साथ मनाया गया विशेष दिवस, कलेक्टर ने किया उपहार वितरण और 'एक पेड़ मां के नाम' अभियान की शुरुआत" रेवांचल टाईम्स -...

Recent Comments