गरीब ठेला वालों की पीठ लाल कर रहे अभियानों के चाबुक मॉल्स-शोरूम्स पर नरमी, ठेलेवालों पर सख्ती! जबलपुर में अतिक्रमण हटाओ अभियान बना दिखावा, बड़े मॉल्स और शोरूम्स पर मौन!
दैनिक रेवांचल टाइम्स जबलपुर
अतुल कुमार
जबलपुर नगर निगम और जिला प्रशासन द्वारा इन दिनों शहर में ‘अतिक्रमण हटाओ अभियान’ बड़े जोर-शोर से चलाया जा रहा है। पर सवाल यह है कि क्या यह अभियान सिर्फ ठेले-खोमचे और गरीब तबके तक ही सीमित है, अभियानों के चाबुक केवल गरीब ठेला वालों की पीठ ही लाल कर पाते हैं। रसूखदारों, दबंगों अौर राजनीतिक पकड़ वाले शटर खोलने की हिम्मत अधिकारी नहीं जुटा पाते हैं।
मॉल्स-शोरूम्स पर चुप्पी, ठेलेवालों पर सख्ती!
शहर के बड़े-बड़े चौराहों, मुख्य मार्गों, और शॉपिंग मॉल एरिया में स्थित नामचीन शोरूम्स, ब्रांडेड दुकानों और फूड जोन ने न केवल सार्वजनिक सड़कों पर अतिक्रमण कर रखा है, बल्कि अपनी पार्किंग तक रोड पर शिफ्ट कर दी है, जिससे आम जनता को यातायात में भारी परेशानी होती है।
- नेपियर टाउन,
- साउथ सिविल लाइन्स,
- अधारताल,
- गोलबाजार,
- सिटी सेंटर,
- विजयनगर,
- गोरखपुर,
रांझी-इन इलाकों के कई शोरूम और मॉल्स ने दुकानों के बाहर कच्चे-पक्के चबूतरे बनाकर अतिक्रमण कर लिया है, जिन पर दोपहिया-चारपहिया वाहनों की पार्किंग कराई जा रही है।

निगम और पुलिस की ‘सेटिंग’ पर उठते सवाल
शहर में जब भी अतिक्रमण हटाने की टीम निकलती है, तो वो ठेले, गुमटी, फुटपाथ पर सब्जी बेचने वाले, मोची, छोटे दुकानदारों पर टूट पड़ती है।
वहीं दूसरी ओर बड़े प्रतिष्ठानों, शोरूम मालिकों, और मॉल्स पर कार्रवाई नहीं होती।
क्या ये प्रशासनिक मिलीभगत, राजनीतिक संरक्षण या निगम के भीतर से चल रही सेटिंग का नतीजा है?
फोटो खिंचवाकर ‘कार्यवाही’ का नाटक
प्रशासन द्वारा अखबारों में छपवाए जा रहे फोटो और प्रेस विज्ञप्तियाँ महज़ प्रचार का हिस्सा बन गए हैं।
दर्जनों बार देखा गया है कि वही ठेलेवाले एक गली से हटाकर दूसरी गली में भेज दिए जाते हैं, लेकिन उनके जीवन और रोजग़ार पर लगातार संकट बना रहता है।
बड़े शो-रूम्स के बाहर पक्के रैंप, कब्जा बनाम सुविधा?
कई शोरूम्स ने दुकान के बाहर कांक्रीट का रैंप बनवाकर उसे स्थायी कब्जे में बदल दिया है।
उन पर न ही जुर्माना, न ही तोडफ़ोड़ – आखिर क्यों?
प्रशासन से मांगा जवाब
जनता जानना चाहती है:
क्या अतिक्रमण की परिभाषा सिर्फ गरीब के ठेले तक सीमित है?
किस नियम के तहत बड़े मॉल्स और ब्रांडेड दुकानों पर कोई कार्रवाई नहीं होती?
क्या नगर निगम के अफसरों और इन प्रतिष्ठानों के बीच कोई “गुप्त समझौता” है?
- बड़े मॉल्स और शोरूम्स की पार्किंग की समीक्षा हो।
- सभी दुकानों के सामने हुए अतिक्रमण की सर्वे रिपोर्ट सार्वजनिक हो।
- कार्रवाई समान रूप से हो – चाहे बड़ा व्यापारी हो या छोटा।